Deoghar News: बैद्यनाथ धाम में वसंत पंचमी पर हुआ शिवजी का तिलकोत्सव 22 फरवरी को शादी
Deoghar News: बैद्यनाथ धाम में वसंत पंचमी पर हुआ शिवजी का तिलकोत्सव 22 फरवरी को शादी
Religious News: वसंत पंचमी को मंदिर का पट सुबह 4 बजे खुला. सुबह की पूजा सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा ने की. बाबा को अबीर व आम्रमंजर अर्पित किए गए. वहीं शाम लगभग 7 बजे तिलकोत्सव पूजा शुरू हुआ. अब 22 फरवरी को बाबा की शादी होगी.
रिपोर्ट : परमजीत कुमार
देवघर. वसंत पंचमी के दिन बाबा बैद्यनाथ का पूरे वैदिक रीति-रिवाज व मंत्रोचार के साथ तिलकोत्सव हुआ. इसके बाद 22 फरवरी को बाबा की शादी होगी. वसंत पंचमी के अवसर पर बाबा बैद्यनाथ की विशेष पूजा हुई. ज्योतिर्लिंग पर अबीर-गुलाल चढ़ाए गए. साथ ही मालपुआ का भोग लगाया गया. शिवजी को अभी से फाल्गुन पूर्णिमा तक रोजाना अबीर-गुलाल चढ़ाया जाएगा.
वसंत पंचमी को मंदिर का पट सुबह 4 बजे खुला. सुबह की पूजा सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा ने की. बाबा को अबीर व आम्रमंजर अर्पित किए गए. वहीं शाम लगभग 7 बजे तिलकोत्सव पूजा शुरू हुआ. इस अवसर पर लक्ष्मी नारायण मंदिर के प्रांगण में आचार्य श्रीनाथ पंडित, गुलाबनन्द ओझा व प्रमोद शृंगारी थे. प्रमोद शृंगारी ने पंचोपचार विधि से पूजा की. बाबा के निमित्त आम्रमंजर, अबीर, पंचमेवा, फल आदि चढ़ाए. उन्हें मालपुआ का भोग लगाया. इसके उपरांत बाबामंदिर परिसर स्थित सभी 22 मंदिरों में भी धूप-दीप दिखा कर मालपुआ चढ़ाया गया. तब बाबा की शृंगार पूजा पुन: शुरू की गई.
इस दौरान बाबा मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. मिथिलांचल के भक्तों से मंदिर परिसर सुबह से शाम तक पटा रहा. हर हर भोला, हर हर महादेव, जय भोला से गूंजता रहा. भक्तों ने तिलकोत्सव पूजा के दौरान लोकगीत की प्रस्तुति की. बाबा की पूजा के उपरांत भैरव पूजा हुई. अबीर-गुलाल लगाकर एक-दूसरे को तिलकोत्सव की बधाई दी. भक्त अपने घरों के लिए रवाना हो गए. इस दौरान बेगूसराय जिले के सिमरिया घाट में अचला सप्तमी के दिन गंगा स्नान करेंगे. वहां से अपने कुलदेवता के लिए गंगाजल लेकर अपने घर जाएंगे.
परंपरा अनुसार तिलकोत्सव के अवसर पर मिथिलावासी बाबा भोलेनाथ को अपने खेत में उपजे धान की बाली, घर में तैयार घी, गुलाल और बेसन का लड्डू अर्पित कर तिलकोत्सव का रस्म पूरा करते हैं. इसके बाद एक दूसरे को गुलाल लगाकर तिलकोत्सव की खुशियां बांटते हैं. तिलकोत्सव के बारे में बताया जाता है कि यह परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है. ऋषि-मुनि भी तिलकोत्सव में भाग लेने आते थे. मिथिलावासी भी त्रेता युग से ही इस परंपरा का निर्वाह करते आ रहे हैं.
वसंत पंचमी मेला सिर्फ ढाई दिनों का होता है. ज्यादातर श्रद्धालु या कांवड़िए बिहार के मिथिलांचल से आते हैं. दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर समेत मिथिलांचल के अन्य जिलों के कांवड़ियों की भीड़ उमड़ पड़ती है. कांवड़िए बांस से बने कांवर लेकर आते हैं.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें jharkhabar.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट jharkhabar.com हिंदी|
Tags: Deoghar news, Mahashivratri, ReligiousFIRST PUBLISHED : January 26, 2023, 21:29 IST Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed