OMG ! बिहार के इस गांव में हैं इतने कुएं आज भी गांव के लोग इन्हीं से पीते हैं पानी
OMG ! बिहार के इस गांव में हैं इतने कुएं आज भी गांव के लोग इन्हीं से पीते हैं पानी
अधिकतर कुआं गांवों में पाए जाते हैं. कुछ गांवों की तो पहचान कुओं से ही होती थी. कुओं से ग्रामीणों का काफी गहरा जुड़ाव रहा है. इसकी संस्कृति और जीवन इससे जुड़ा रहा है लेकिन अब शहर क्या गांवों में भी कुआं का दर्शन दुर्लभ हो गया है
कुंदन कुमार/गया. अधिकतर कुआं गांवों में पाए जाते हैं. कुछ गांवों की तो पहचान कुओं से ही होती थी. कुओं से ग्रामीणों का काफी गहरा जुड़ाव रहा है. इसकी संस्कृति और जीवन इससे जुड़ा रहा है लेकिन अब शहर क्या गांवों में भी कुआं का दर्शन दुर्लभ हो गया है. शादी विवाह में लगहर तक की रस्म चापाकल से पूरी करना मजबूरी हो गई है. अधिकांश गांव अब कुआं विहीन हो गया है.
ऐसे में गया जिला के अतरी प्रखंड के चिरियांवा गांव के हर घर मे कुआं हर किसी के लिए किसी रहस्य से कम नहीं है. आश्चर्य की बात यह है कि इस गांव के अधिकांश कुएं अब भी जिंदा है. इस गांव में तकरीबन 120 घर हैं और इस गांव में कुंओं की संख्या लगभग 80 है. यही वजह है कि इस गांव को कुंओं का गांव भी कहा जाता है.
अब भी लोगों के लिए उपयोगी बना हुआ है
चिरियांवा के हर घर में कुआं मानव जीवन के लिए अब भी लोगों के लिए उपयोगी बना हुआ है. पीने नहाने से लेकर जीवन यापन का हर जरूरी काम कुंआ से ही हो रहा है. सबसे बड़ी बात यह कि इस गांव के खेतों की अधिकांश सिंचाईअब भी इस कुआं पर ही निर्भर है. कुआं की अधिकता के कारण आपको खेत बहियार में हर जगह सिंचाईका परंपरागत साधन कुंआ दिख जाएगा. किसान छोटे रकबा के खेतों की सिंचाई कर इस कुंआ से तेज गर्मी में भी खेत बहियार को हरा भरा रखे हुए हैं. आपके शहर से (गया) बिहार उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश राजस्थान उत्तराखंड हरियाणा झारखंड छत्तीसगढ़ हिमाचल प्रदेश महाराष्ट्र पंजाब गया पटना गया मुजफ्फरपुर भागलपुर अररिया अरवल औरंगाबाद कटिहार किशनगंज खगड़िया गोपालगंज जमुई जहानाबाद दरभंगा नवादा नालंदा पश्चिमी चंपारण पूर्णिया पूर्वी चंपारण बक्सर बांका बेगूसराय भोजपुर मधुबनी मधेपुरा मुंगेर मोतिहारी राजगीर रोहतास लखीसराय वैशाली शेखपुरा समस्तीपुर सहरसा सारण सीतामढ़ी सीवान सुपौल कैमूर
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कुआं होने का यह है कारण
ग्रामीण बताते हैं कि गांव में परंपरागत रूप से कुआं खुदा है. यह इलाका आर्थिक और सामाजिक रूप से काफी पिछड़ा हुआ था, लेकिन अब इस गांव के अधिकांश लोग आर्मी मे सेवा दे रहे हैं. जिसके बाद इस गांव की आर्थिक स्थिति ठीक हुई है.
यह गांव पहाड़ों के तलहटी में बसे होने के कारण जमीन के नीचे पत्थर का बड़ा-बड़ा चट्टान है. पहले आर्थिक कारणों से लोग महंगा बोरिंग नहीं करा सके होंगे और कई पीढी से गांव के लोग कुंआ का पानी पीते हैं. लेकिन अब कुछ घरों में 8-10 चापाकल लगाए गये हैं, लेकिन अधिकांश घरों में कुंआ का पानी पी रहे है. सहुलियत के लिए लोग कुंआ में ही चापाकल सेट कर लिए हैं.
इसी कुआं में पंपसेट और मोटरसेट लगाकर होती है खेती
ग्रामीणों ने बताया कि अधिकांश कुआं को खेत वाले जिंदा रखे हुए हैं. आधुनिक संसाधन के बाद अब कुछ लोग इसी कुआं में पंपसेट और मोटरसेट लगाकर खेती कर रहे हैं. लेकिन कुआं को बंद नहीं किया जा रहा है. अधिकांश कुआं में पानी मौजूद है. अब मशीन से बोरिंग होने के बाद भी गांव के लोगों ने कुआं को सुरक्षित रखा है. बता दें कि इस गांव मे नल जल योजना के तहत बोरिंग किया गया था लेकिन कुछ दिनो तक काम करने के बाद यह बंद हो गया.
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Tags: Bihar News in hindi, Gaya news todayFIRST PUBLISHED : May 26, 2023, 13:18 IST Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed