Parliament House: विपक्षी पार्टियों को चुभेगी चिराग पासवान की खरी बात! पीएम मोदी के नाम लिखा पत्र
Parliament House: विपक्षी पार्टियों को चुभेगी चिराग पासवान की खरी बात! पीएम मोदी के नाम लिखा पत्र
Parliament House News: 25 पार्टियां संसद के उद्घाटन समारोह में शामिल होंगी. इनके लोकसभा में 376 सांसद तो राज्यसभा में 131 सांसद हैं. ये दल 18 राज्यों में सत्ता में हैं. जबकि 21 विपक्षी दलों ने संसद के उद्घाटन का बायकॉट का ऐलान किया है. इनके लोकसभा में 168 सांसद हैं, जबकि राज्यसभा में 104 सांसद. विरोध कर रहे दलों की 12 राज्यों में सरकार है. अब इस मुद्दे को लेकर लोक जन शक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने पीएम मोदी के नाम एक खुला खत लिखा है.
हाइलाइट्सनए संसद भवन विवाद के बीच चिराग पासवान ने पीएम मोदी के नाम खत लिखा. विपक्षी दलों के रुख को लेकर चिराग पासवान ने जताया ऐतराज, कही तीखी बात. प्रधानमंत्री नरन्द्र मोदी का साथ देने की लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने की घोषणा.
पटना. देश के नए संसद भवन का 28 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उद्घाटन करेंगे. कांग्रेस समेत विपक्ष के 21 राजनीतिक दलों ने पीएम मोदी के हाथों उद्घाटन को मुद्दा बनाकर कार्यक्रम के बहिष्कार की घोषणा कर दी है. हालांकि, इस मुद्दे पर मोदी सरकार को 25 दलों का साथ भी मिला है. इनमें से 7 गैर एनडीए दल हैं. इन 25 दलों ने सरकार के न्यौते को स्वीकार किया है. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें 7 पार्टियां ऐसी हैं जो गैर एनडीए के हैं. जाहिर है इनके रुख ने विपक्षी एकता को बड़ा झटका दिया है.
मोदी सरकार का आमंत्रण को स्वीकार करने वाले जो 25 दल हैं, उनमें 7 गैर एनडीए दल हैं. बहुजन समाज पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, जनता दल (सेक्यूलर), लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास), वाईएसआर कांग्रेस, बीजू जनता दल और तेलुगू देशम पार्टी ने समारोह में शामिल होने की बात कही है. इन 7 पार्टियों के लोकसभा में 50 सदस्य हैं. इसी मुद्दे को लेकर अब लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम एक खुला खत लिखा है जो विपक्षी दलों के रुख पर सवाल खड़े करता है. चिराग पासवान का लिखा पूरा खत पढ़िए. आदरणीय प्रधानमंत्री जी, आशा है कि आप स्वस्थ होंगे. महोदय, लोकतंत्र में संसद एक पवित्र संस्था है. यहां देश की उन नीतियों का फैसला होता है जो सीधे जनता से जुड़ी होती हैं. भारत और भारतीयों के बेहतर भविष्य को निर्धारित करने में भारतीय संसद की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है, ऐसे में 19 विपक्षी दलों द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन के विरोध के फैसले की मैं और मेरी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) घोर निंदा करती है.
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सर्वविदित है कि 28 मई 2023 को नए संसद भवन का उद्घाटन महान देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मान्यताओं पर हमला है. ऐसी महान संस्था के प्रति विपक्षी दलों द्वारा यह अनादर व अपमान लोकतंत्र की मूल आत्मा और मर्यादा पर कुठाराघात है. अफसोस की बात है कि तिरस्कार और बहिष्कार की यह पहली घटना नहीं है. पिछले 9 सालों में देखें तो इन विपक्षी दलों ने बार-बार संसदीय प्रक्रियाओं-नियमों की अवमानना की है, सत्रों को बाधित किया है. महत्वपूर्ण विधायी कामों के दौरान सदन का बहिष्कार किया है. संसदीय फर्ज की अवहेलना की है.
विपक्ष का संसदीय व्यवस्था मर्यादा और लोकतांत्रिक शुचिता के प्रति तिरस्कार पूर्ण रवैया लगातार बढ़ रहा है. यह लोक स्मृति में दर्ज है कि इन विपक्षी दलों ने जीएसटी के विशेष सत्र का बहिष्कार किया था, जिसकी अध्यक्षता तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने की थी. उन्हें भारत रत्न दिए जाने के समारोह का भी बहिष्कार इन्हीं तत्वों ने किया. श्री रामनाथ कोविंद जी के राष्ट्रपति निर्वाचित होने पर सामान्य शिष्टाचार और औपचारिकता निभाने में भी इन दलों को विलंब हुआ. इसके अलावा हमारे देश की वर्तमान राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के प्रति इनका दिखाया गया अनादर राजनीतिक मर्यादा के निम्न स्तर पर पहुंच गया. उनकी उम्मीदवारी का घोर विरोध न केवल उनका अपमान था, बल्कि हमारे देश की अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का सीधा अपमान हुआ.
हम यह नहीं भूल सकते संसदीय लोकतंत्र के प्रति विपक्ष के इस व्यवहार तिरस्कार की जड़ें इतिहास में गहरी हैं. इन्हीं पार्टियों ने आपातकाल लागू किया भारत के इतिहास की भयावह अवधि जब नागरिक स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को निलंबित कर दिया गया. अनुच्छेद 356 का लगातार दुरुपयोग संवैधानिक सिद्धांतों के प्रति विपक्ष की अवहेलना को उजागर व प्रमाणित करता है. यह अत्यंत दुखद सार्वजनिक तथ्य है कि विपक्ष संसद से भागता है कारण यह उन पुरानी और स्वार्थी लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, जिन्हें जनता ने बार-बार खारिज कर दिया है.
विपक्षी एकता का प्रयास राष्ट्रीय विकास के लिए एक साझा दृष्टि नहीं, बल्कि वोट बैंक की राजनीति के लिए साझा अभ्यास है और यह भ्रष्टाचार के प्रति विपक्ष रुझान झुकाव है. ऐसी पार्टियां कभी भी भारतीय लोगों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकती हैं. ये विपक्षी पार्टियां जो कर रही हैं वह महात्मा गांधी डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर सरदार पटेल और देश की इमानदारी से सेवा करने वाले ऐसे अनगिनत अन्य महापुरुषों के आदर्शों का अपमान है, जिन्होंने समर्पण-प्रतिबद्धता से देश निर्माण में संपूर्ण जीवन लगा दिया. विपक्षी दलों के यह काम उन महान नेताओं के मूल्यों योगदान को कलंकित करते हैं, जिन्होंने हमारे लोकतंत्र को स्थापित करने के लिए अथक परिश्रम किया.
हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं. यह वक्त हमें बांटने का नहीं, बल्कि एकता और हमारे लोगों के कल्याण के लिए एक साथ साझा प्रतिबद्धता दिखाने का अवसर है. हम विपक्षी दलों से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करते हैं. अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो भारत के 140 करोड़ लोग भारतीय लोकतंत्र और उनके चुने हुए प्रतिनिधियों के प्रति विपक्ष के इस घोर अपमान को नहीं भूलेंगे.
महोदय, आपके साथ रहते हुए या आप से अलग होकर भी मैंने और मेरी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने जनहित में आपके द्वारा लिए गए फैसलों का मजबूती से साथ दिया है. नए संसद भवन का उद्घाटन यकीनन एक विकसित भारत की दिशा में आपके द्वारा उठाया गया मजबूत कदम है, इसका मैं और मेरी पार्टी समर्थन करती है तथा विपक्ष को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह करती है. इस ऐतिहासिक दिन के लिए मैं और मेरी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की ओर से आपको बधाई व शुभकामनाएं!
25 दलों ने किया समर्थन
यहां यह बता दें कि 25 दलों ने मोदी सरकार के इस कार्यक्रम का समर्थन किया है. इनमें बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट), नेशनल पीपल्स पार्टी, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी, पार्टी, अपना दल – सोनीलाल, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया, तमिल मनीला कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, आजसू (झारखंड), मिजो नेशनल फ्रंट, वाईएसआरसीपी, टीडीपी, बीजद, बीएसपी, जेडीएस, शिरोमणि अकाली दल शामिल हैं.
सीटों के लिहाज से कौन सा गुट बड़ा?
25 पार्टियां संसद के उद्घाटन समारोह में शामिल होंगी. इनके लोकसभा में 68% यानी 376 सांसद हैं. जबकि राज्यसभा में 55% यानी 131 सांसद हैं. समर्थन करने वाली पार्टियां 18 राज्यों यानी 60% राज्यों में सत्ता में हैं. जबकि 21 विपक्षी दलों ने संसद के उद्घाटन का बायकॉट का ऐलान किया है. इन 21 पार्टियों के लोकसभा में 31% यानी 168 सांसद हैं. वहीं, राज्यसभा में 104 सांसद यानी 45% विरोध में हैं. जबकि विरोध कर रहे दलों की 40% यानी 12 राज्यों में सरकार है.
इन पार्टियों ने विरोध का किया है ऐलान
कार्यक्रम का बहिष्कार करने वाले दलों में कांग्रेस, डीएमके (द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम), AAP, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) समाजवादी पार्टी, भाकपा, झामुमो, केरल कांग्रेस (मणि), विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची, रालोद, टीएमसी, जदयू, एनसीपी, सीपीआई (एम), आरजेडी, AIMIM, AIUDF (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, नेशनल कॉन्फ्रेंस, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और मरुमलार्ची द्रविड़ म मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) शामिल हैं.
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Tags: Bihar News, Chirag Paswan, Parliament house, Parliament news, Pm narendra modiFIRST PUBLISHED : May 26, 2023, 16:52 IST Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed